आतंकवाद निंदनीय !!

संजय दुबे

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पहलगाम में कुछ नपुंसक,कायर,बुजदिल पाकिस्तानी आतंकवादियों ने26 निर्दोष पर्यटकों की नृशंस और निर्मम हत्या कर दी। इसका परिणाम ये हुआ कि कश्मीर की वादियों में गर्मी से बचने के लिए घूमने जाने वाले डर गए।धड़ाधड़ टिकटे कैंसिल हो रही है।

घर में रहेंगे, गर्मी का तोड़ एयर कंडीशन मशीन है ना, जान बची सो लाखों उपाय, लौट के बुद्धू घर को आए। पहलगाम जैसी घटना क्या केवल कश्मीर तक सीमित रहेगी? कहां कहां के टिकट कैंसिल करा कर घर में रहेंगे,।ये प्रश्न देश के नागरिकों के सामने है। देश और राज्य की सरकारों के सामने मीरजाफरो की समस्या है ।केंद्र के लिए ज्यादा गंभीर मुद्दा है क्योंकि कुछ दलों की सरकारें धर्म निरपेक्ष होने का दम भरती है।

मीर जाफरों की हिमायती है।साफ साफ शब्दो में कहा जाए तो इनके जीत और सत्ता में बने रहने के लिए आतंकवादियों का समर्थन आवश्यक है। पश्चिम बंगाल उदाहरण है और जिस तरह कल पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती की शुरुआत की गई है वैसी ही सख्ती की जरूरत पश्चिम बंगाल के लिए भी जरूरी है। बहुत साल पहले एक फिल्म आई थी "सरफरोश"। सरफरोश का अर्थ होता है बलिदान देने के लिए तैयार या अच्छे उद्देश्य के लिए जान देने के लिए तैयार रहना।

इस फिल्म का एक डायलॉग था "पाकिस्तान खुशकिस्मत देश है जिसे भारत में आतंक पसारने के लिए केवल हथियार भेजना पड़ता है बाकी इस देश के काफिर मदद के लिए आतुर बैठे है। पहलगाम की घटना में भी देश के कुछ गद्दार शामिल हैं , जाहिर सी बात है वे हिंदू नहीं होंगे। इन गद्दारों को रहना इस देश में, खाना इस देश में और साथ देना पाकिस्तान का है ? बाइस करोड़ मुसलमानों में इन जाहिल, नामर्दों की संख्या बाईस लाख होगी लेकिन इनकी हरकतों के चलते पूरा कौम शक के घेरे में आ रहा है या आ चुका है। केंद्र की सरकार राज्य की सरकारों के भरोसे है।इनकी छटाई नहीं कर सकती है। कुछ राज्य की सरकारें इनकी हिमायती है इनकी क्योंकि इन दलों की रोटी इन्हीं से सिकती है। ऐसे में देश में आतंकवाद और आतंकवादी संरक्षित है।

छत्तीसगढ़ में रोहिंग्या कैसे दाखिल हो गए?कैसे उनके आधार कार्ड, वोटर कार्ड, राशन कार्ड बन गए? पश्चिम बंगाल में कैसे अहसानफरामोश बंगला देश के नागरिक पनाह पा गए? जब घर का भेदी ही देश ढाने पर तुले है तो हजारों मोदी शाह आ जाए ,आज कश्मीर में पहलगाम द्रष्टांत बना है कल कोई ग्राम पंचायत, वार्ड सहित रेलवे स्टेशन हवाई अड्डे में ऐसा मानव संहार होगा, ये तय है। तो क्या फिर पड़ोस में भगत सिंह खोजने का काम शुरू करेंगे! इस देश में खुली जेल में सारी सुविधा भोगने वाले तथाकथित महा - आत्माओं ने देश की आजादी के लिए बलिदान नहीं दिया बल्कि अंग्रेजों की गोली लाठी खाकर मरने वालों के डर से अंग्रेजी भागे थे। देश का विभाजन उसी धर्म के आधार पर हुआ था जो पहलगाम में पूछा गया है। तत्कालीन आत्मसंतोषी अहिंसावादी लोग भाई भाई का नारा देकर नासूर देश में रख लिए।

छोटी नादानी और प्रधानमंत्री बनने के हठ में बना पाकिस्तान हमारे लिए स्थाई केंसर बन गया है , जिसे खत्म करने के लिए एक बड़े ऑपरेशन की जरूरत है। हमें न तो सहिष्णु बनने की जरूरत है न हीं साम्प्रदायिक सद्भाव का तमाशा करना है। दरअसल गद्दार लोग बेखौफ हो गए है दलों की पनाहगिरी ने इनके हौसले बढ़ा दिए है। अब आर पार की लड़ाई जरूरत है।सारी दुनियां जान रही है कि पाकिस्तान, आतंकवादी देश है। वहां केवल पंचर बनाने लोग है ।धार्मिक पढ़ाई ने इन्हें धर्मांध बना दिया है।मारने से पहले भी धर्म पूछ रहे है। इस देश के मुसलमानों को अपने ही घरों के मीर जाफरों को निकाल बाहर करने की मजबूरी होना जरूरी है अन्यथा उनके लिए पाकिस्तान का वाघा बॉर्डर का दरवाजा खोल दिया जाए। अंत में एक बात और इस देश के नागरिकों को एक साल मिलिट्री ट्रेनिंग देने की सख्त जरूरत है। सरकार,सेना और पुलिस के भरोसे रहते रहते भरोसे में रहने वाली हो गई है।भारत सरकार को बड़ी गंभीरता से इस दिशा में सोचना जरूरी है।


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