न्यायमूर्ति एएस ओका ने सुप्रीम कोर्ट की परंपराओं पर उठाए सवाल

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सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एएस ओका 24 मई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं। अपने विदाई समारोह के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रचलित रिटायरमेंट परंपराओं को लेकर खुलकर अपनी राय रखी। न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि उन्हें ‘रिटायरमेंट’ शब्द ही पसंद नहीं है और न ही वे उस परंपरा से सहमत हैं, जिसमें न्यायाधीश सेवा के अंतिम दिन कोई काम नहीं करते।

उन्होंने बताया कि उन्होंने खुद भारत के मुख्य न्यायाधीश से इस मुद्दे पर अपनी असहमति व्यक्त की है। जस्टिस ओका ने कहा, “मैं इस परंपरा को नहीं मानता कि सेवानिवृत्त होने वाला न्यायाधीश अपने अंतिम कार्यदिवस पर कोई निर्णय न सुनाए। यह संतोषजनक है कि मैं अपने अंतिम दिन भी बेंच पर बैठूंगा और कुछ फैसले सुनाऊंगा।

उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में रिटायर जजों को दोपहर 1:30 बजे दिए जाने वाले गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा पर भी सवाल उठाया। उनका कहना था कि इससे यह संकेत जाता है कि न्यायाधीश को उसी समय से ‘अप्रासंगिक’ मान लिया गया है।

जस्टिस ओका ने कहा, “मैं मानता हूं कि अंतिम दिन भी न्यायाधीश को शाम चार बजे तक अपने दायित्व निभाने चाहिए। गार्ड ऑफ ऑनर की यह समय-सीमा भी पुनर्विचार की मांग करती है।


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