सोनम तुम्हे ऐसा नहीं करना था!
संजय दुबे

एक अवैध अपरिपक्व मोहब्बत के चलते एक परिवार का बेटा,भाई, सहित अनेक रिश्तों के अलावा दोस्तो का दोस्त "राजा"हत्या की भेंट चढ़ गया। दुखद पहलू ये भी रहा कि राजा की हत्या में उसकी हालिया पत्नी सोनम ही मुख्य कर्ता धर्ता थी।
अपने हर प्रकार के शौक चाहे शारीरिक हो या मानसिक उन्हें अंजाम देने के लिए सोनम ने विवाह जैसी पवित्र परंपरा को कलंकित कर दिया।विवाह के पश्चात आपसी समझ के लिए परिवार से दूर रह कर "हनीमून" जैसी आधुनिक व्यवस्था को संदेहास्पद बना दिया। अपनी ओछी हरकतों के चलते सोनम ने मेघालय राज्य सहित वहां के प्रशासन और समूचे राज्य के नागरिकों को लांछित कर दिया।
आजकल क्या किसी भी जमाने में प्रेम होता रहा है, आगे भी होगा। इस प्रेम में न उम्र की सीमा होगी न जन्म का बंधन होगा, न जात देखी जाएगी न पात देखी जाएगी, न अमीरी देखी जाएगी और न ही गरीबी देखी जाएगी।ये अतीत की भी सच्चाई है, आज का भी सच है और भविष्य का सत्य भी रहेगा। प्रेम का एक अनिवार्य तत्व है अपने अपने हिस्से की ईमानदारी।
अगर ये ईमानदारी नहीं है तो आने वाले समय में सोनम भी जन्म लेगी राज कुशवाह भी जन्म लेगा और राजा मरेंगे भी। बदले हुए रूप में षडयंत्र जन्म लेंगे और भाड़े के हत्यारे आकाश, आनंद विशाल नाम के बदले दूसरे नाम से राजा की निर्मम हत्या करने पहुंच जाएंगे। राज्य बदल जाएगा, शहर बदल जाएगा। लेकिन ऐसी घटनाएं होंगी, कोई रोक नहीं सकता। राजा रघुवंशी की हत्या का कारण एक पिता या परिवार की हठ धर्मिता को ही मान लेना अन्याय होगा क्योंकि आज की स्थिति में अभिभावक अपने संतानों की जिंदगी का दूसरा पहलू जान ही नहीं पाते है यद्यपि आज के दौर में इतना तो पूछ ही लिया जाता है कि यदि तुम्हारी पसंद का कोई लड़का, लड़की है तो बता दो।
जाति बंधन की सारी वर्जनाएं टूट चुकी है।आर्थिक आधार पर स्वावलंबी युवक खास कर युवतियां जीवन साथी चुनने के लिए अपने संवैधानिक अधिकारो को भलीभांति समझ चुकी है। वे वयस्क होने के नाते. जीवनसाथी चुनने की आजादी मांगती है और मिलता भी है। अभिभावक इस संभावित उलाहने से बच जाने का सुख मुफ्त में पा जाते है कि संतान कहे कि कहां से उठा कर गले में बांध दिया। सोनम अपने प्रेम का इजहार ,इकरार अपने पिता या परिवार से क्यों नहीं कर पाई?ये सवाल जरूर उठ रहा है। शायद राज कुशवाह की कमजोर आर्थिक स्थिति और परिवार के व्यवसाय में अदनी सी नौकरी जिसमें महज अठारह हजार रुपए का वेतन के अलावा परिवार के रहमो करम पर जीविका उपार्जन करने वाला पांच साल छोटा व्यक्ति! इतने कमजोर के साथ संपन्न परिवार का कोई भी सदस्य हामी नहीं भरता और बात उठने पर राज कुशवाह जिस थाली में खाना खाने वाला उसी थाली में छेद करने वाला कृतघ्न बन जाता।पल भर में बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता।
इसी कारण सोनम न तो प्रतिकार कर पाई न ही प्रतिरोध कि घर की सीमा लांघ कर अपने प्यार को शादी का लबादा ओढ़ा दे।ये भी बात सामने आई है कि पिता की बीमारी भी एक रोड़ा थी। यही लाचारी सोनम को बेमेल विवाह की वेदी तक ले गया।फेरे भी लगवा दिए।मांग में सिंदूर भी भरवा दिया। वैदिक तरीके से दो परिवार के दो सदस्यों के चलते समधी समधन, साले सहित रिश्तों की बाढ़ आ गई। सोनम , सारे रीति रिवाजो के पालन के बावजूद न तो तन से और न ही मन से राजा रघुवंशी की हो पाई। भीतर ही भीतर पुराना प्रेम असरकारक था और रास्ता भी सूझ गया। विवाह परम्परा का निर्वाह तो हो ही चुका था अब बारी थी पहले प्रेम को पाने को अंजाम देने का। इस दुनियां में अगर एक लाख हत्याएं हुई है तो कानूनी उलझटो से कोई नहीं बच पाया है।ये बात अलग है कि साक्ष्य के अभाव में बाइज्जत बरी हो जाए लेकिन समाज की अदालत में दोषी व्यक्ति दोषी ही होता है। सोनम, राज कुशवाह सहित बाकी के आरोपी इसी समाज के हिस्से है और इस समाज में घटते घटनाओं के चश्मदीद गवाह भी है।
अनेक हत्याओं का पर्दाफाश होते सुना होगा लेकिन खुद को पाक साफ बताने के लिए जितने भी ताने बाने बुने सब सुलझ गए। जिस हवाई जहाज से हवाई यात्रा कर योजना को लेकर सोनम इंदौर से कोलकाता और फिर गुवाहाटी गई थी उसी प्रकार की हवाई यात्रा करते हुए कोलकाता से गुवाहाटी का सफर फिर से हुआ ।फर्क इतना ही है कि चालों को लेकर चढ़ी सोनम अबकी बार उन्हीं चालों के खुलासे के लिए गई। इस घटना से देश भर में राजा की हत्या के बाद सोनम के लापता होने पर जो लानते मेघालय राज्य के शासन, प्रशासन सहित वहां के नागरिकों के परोसी गई वह आक्रोश था, स्वाभाविक है कि एक युवती के पति की हत्या हो जाए युवती लापता हो जाए तो प्रश्न उठते है और उठना भी चाहिए।
ऐसे आरोप से बचने का एक ही तरीका होता है सच को सामने लाना।इस मामले में मेघालय और मध्य प्रदेश के इंदौर की पुलिस की पीठ थपथपाना चाहिए कि वे आक्रोशित और आंदोलित होते हुए शहर,राज्यों और देश को सच बता सके। इस घटना से समूचे स्त्री जगत के बारे में भद्दी बाते कही गई, लिखी गई, विद्रूप हास्य के माध्यम से खिल्ली उड़ाई गई। विवाह जैसे संस्कार पर उंगली उठाई गई। हनीमून को संदेह के दायरे में लाया गया।ये गलत बात है। पुरुष वर्ग के कुछ लोग तीन तीन साल की अबोध बच्ची के साथ बलात्कार करते है, नृशंस हत्या कर देते है।इसका अर्थ ये नहीं है कि सभी पुरुष बलात्कारी है या कथित रूप से सोनम के द्वारा राजा की हत्या करवाने से सारी युवतियां आगे चलकर हत्या करवाने लगेगी। इस दुनियां के जन्म के साथ ही अपराध ने जन्म लिया है। मनुष्य के भीतर का आक्रोश उसे अमर्यादित बनाता है।अपराध के लिए प्रेरित करता है। विवेक दमदार होता है तो लाखों करोड़ों षडयंत्रों की रोजाना भ्रूण हत्या होती है। इतनी ही उम्मीद की जा सकती है कि हर युवक युवती जब भी प्रेम करे उसे बताने का साहस रखे। यदि प्रेम जैसे पवित्र भावना को इजहार नहीं किया जा सक रहा है तो ऐसा प्रेम पवित्र नहीं है।

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