नाराज युग के महानायक

लेखक: संजय दुबे

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देश मे 1969 का साल राजनेतिक घटनाक्रम के बदलते परिवेश के साल था।कांग्रेस में विभाजन के साथ साथ एक नई शक्ति के रूप में इंदिरा गांधी का शिखर की ओर बढ़ने की प्रक्रिया भी अग्रसर हो रही थी। इसी दौर में ख्वाजा अहमद अब्बास ने एक फिल्म बनाई थी- सात हिंदुस्तानी। इस फिल्म में प्रख्यात कवि हरिवंश राय बच्चन के पुत्र भी एक हिंदुस्तानी थे। फिल्म आयी चली गयी।आखिर सातवें हिंदुस्तानी जो थे। ये दौर नाराजगी का दौर था।गुस्सा हवाओ में घुल रहा था।इधर फिल्मों में समान्तर रोमांस के साथ साथ एक असफल नायक को लेकर अनेक कलाकारों के द्वारा छोड़ी गई फिल्म में अवसर दिया गया। नाम था इस फिल्म का जंजीर।

 शायद जंजीर फिल्म न बनती तो अमिताभ बच्चन भी नही होते, क्योकि वे इस फिल्म से पहले बहुत सारी बेढब फिल्में कर चुके थे औऱ जंजीर उनके लिए आखिरी मौका था। इंसपेक्टर विजय ।यही नाम था उनका। नाराजगी का आवरण धारण किये हुए अमिताभ बच्चन के अभिनय की नींव ही नाराजगी बन गया। उनसे पहले के नायकों के बगीचे में नायिकाओं के इर्दगिर्द नाचना भी काम हुआ करता था लेकिन डॉन फिल्म के पहले तक अमिताभ थिरके भर थे ।नाचे भी भगवान दादा के समान। आपातकाल भी नाराजगी का दौर था सो विजय औऱ नाराजगी का दौर खूब चला। शोले,त्रिशूल,दीवार( मेरी नज़र में अमिताभ की सबसे बेहतर फिल्म) काला पत्थर, में आंखों में विरोध का तेवर लिए अमिताभ आगे बढ़ते गए। पांच दशक औऱ 200 फिल्में उनके हिस्से में दो काल खंड में उनके हिस्से में है। अपनी दूसरी पारी में जब अमिताभ सफेद फ्रेंच कट दाढ़ी के साथ अवतरित हुए तो वे जुदा रहे। उनको विस्तार के साथ अनेक कठिन भूमिका में जीने जा मौका मिला। पिंक फिल्म में वे वकील की भूमिका में अनोखे थे तो पा में जुदा।कहने का मतलब यही कि दिलीप कुमार के बाद दिलीप कुमार से ज्यादा सफल कलाकार के रूप में अमिताभ महानायक हो गए।

 कहते है कि कोई व्यक्ति एक शानदार शुरुवात कर दे तो अनेक लोग अनुशरण करने लग जाते है। इक्कीसवीं सदी के शुरुवात से पहले फिल्मों से असफल कलाकार छोटे पर्दे ने आकर गरीबी गुजारा करते थे।अमिताभ के लिए भी ऐसा ही था लेकिन वक़्त हमेशा उनका साथ देता है नो साहस करते है। ज्ञान और मनोरंजन के अलावा लालच के सम्मिश्रण के रूप में उनको कौन बनेगा करोड़पति में लाया गया।अपने सकल हानि कक बराबर कर वे लाभ के पासंग में खड़े है।

किसी कलाकार के अभिनय का पारस पत्थर देश के नागरिक अलंकरण पुरस्कार होते है। पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण से वे अलंकृत हो चुके है। राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार चार बार उनके गले मे लटक चुके है।दादा साहेब फाल्के पुरस्कार उनके हिस्से आ चुका है। भारत रत्न शेष है।

जन्मदिन की शुभकामनाएं।


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