सोलह श्रृंगार कर सावन में भोलेबाबा को प्रसन्न करती नजर आई सरयू आराधना महिला मंडल रायपुर की महिलाएं...

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सरयू आराधना महिला मंडल रायपुर द्वारा एक निजी होटल में सावन महोत्सव मनाया गया।हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत शुभ माना जाता है, खासकर शादीशुदा औरतों के लिए। इस दौरान महिलाएं ना सिर्फ सोमव्रत करती हैं बल्कि सोलह श्रृंगार करके पति की लंबी उम्र की कामना भी करती हैं। श्रृंगार करना सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। दरअसल, सावन महीने में महिलाओं का सजना-संवरना शुभ माना जाता है।

क्यों महत्वपूर्ण है 16 श्रृंगार?

धार्मिक मान्यता है ऋग्वेद में भी सोलह शृंगार का जिक्र किया गया है। ऋग्वेद में कहा गया है कि महिलाओं का सोलह श्रृंगार करना सिर्फ खूबसूरती ही नहीं, भाग्य को भी बढ़ाता है। साथ ही इससे घर में सुख-समृद्धि भी बनी रहती है। ऐसे में जरूरी है कि इस दौरान महिलाएं सोलह श्रृंगार करें।

16 श्रृंगार में शामिल ये चीजें लाल रंग का जोड़ा, मंगलसूत्र, बिंदी, सिंदूर, काजल, मेहंदी, गजरा, मांग टीका, नथ, कानों में झुमके, चूड़ियां, अंगूठी, कमरबंद, बाजूबंद, बिछुआ, पायल सोलह श्रृंगार में शामिल है।

मंगलसूत्र और सिंदूर

 मंगलसूत्र और सिंदूर सुहाग की निशानी माना जाता है। सावन महीने में चटक लाल रंग का सिंदूर भरना चाहिए। मान्यता है कि इससे पति की उम्र लंबी होती है और भोलेनाथ भी प्रसन्न रहते हैं। हो सके तो पति के हाथ से ही सिंदूर व मंगलसूत्र पहनें।

बिंदी

 सावल के दौरान माथे पर कुमकुम या सिंदूर की बिंदी लगाएं। सावन महीने में श्रृंगार करते वक्त लाल या हरी रंग की बिंदी लगाना शुभ माना जाता है लेकिन इस दौरान काली बिंदी बिल्कुल ना लगाएं।


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