टेस्ट क्रिकेट के 312 भारतीय खिलाडियो में रोशन हुए सितारे
लेखक- संजय दुबे
इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट में भारतीय क्रिकेट टीम में दो नए खिलाड़ियों का आगमन हुआ। 311 वे नंबर पर सरफराज अहमद और 312 नंबर पर ध्रुव जुरेल का नाम चढ़ गया।
1932 से लेकर 2024 के बयानव्वे साल के कालावधि में 312 खिलाड़ियों का सफर अमर सिंह से शुरू हुआ और ध्रुव जुरेल तक जारी है। 1936 से 1946 के दस साल की अवधि को घटा दे (इन दस सालो में भारत कोई भी टेस्ट नहीं खेला था)तो ये माना जा सकता है कि साल भर में औसतन चार खिलाड़ी ही टेस्ट टीम में प्रवेश मिल पाता है। उनमें से सफल कितने हुए ये मायने रखने वाली बात है। अब तक खेले 312 खिलाड़ियों में से 84 खिलाड़ियों का कैरियर महज एक दो टेस्ट में ही खत्म हो गया।
1932 के साल में भारत ने लार्ड्स में इंग्लैंड के खिलाफ क्रिकेट में पदार्पण किया था। 1932में जो 11खिलाड़ी टेस्ट खेले इनमे अमर सिंह, सी के नायडू और वजीर अली ही 7-7टेस्ट खेले। उस समय साल में एक दो टेस्ट खेलना ही बहुत बड़ी बात होती थी।
जिन सालो में खिलाड़ियों ने टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया उनमें से किस खिलाड़ी ने सबसे अधिक टेस्ट खेला उनका ये लेखा जोखा है। इस लेख में एक दो टेस्ट खेलने वालों के साल को "निरंक"रखा गया है।
1933-
1.लाला अमरनाथ(24)
2 विजय मर्चेंट(11)
1934-
1.मुश्ताक अली(11)
2.सी के नायडू(11)
1935-
निरंक
1936से लेकर1946तक देश दुनिया में राजनैतिक अस्थिरता के चलते क्रिकेट में विराम लगा रहा।
1946में पुनः क्रिकेट का सफर शुरू हुआ तो लाला अमरनाथ और मुश्ताक अली दो पुराने खिलाड़ी सहित 9नए खिलाड़ी चयनित हुए। किंतु केवल हेमू अधिकारी(21टेस्ट)स्थाई खिलाड़ी रहे।
आजादी के बाद साल दर साल खिलाड़ी चयनित होते रहे लेकिन स्थाई खिलाडियों की संख्या कुछ सालो को छोड़कर एक दो ही रही। जिनके नाम इस प्रकार है
1947-
दत्तू फड़कर (31टेस्ट)
1948-
पाली उमरीगर (59टेस्ट)
1949-
गुलाम अहमद (22टेस्ट)
1950-
निरंक
1951- पंकज राय(43)
1952-
1.विजय मांजरेकर
(55),
2.गुलाब राय रामचंद(33)
1953
निरंक
1954
निरंक
1955-बापू नाडकर्णी(41)
1956-
निरंक
1957-
नरी कांट्रेक्टर(31)
1958-
चंदू बोर्डे (55)
1959-
1.रमाकांत देसाई(28)
2.एम एल जयसिम्हा (39)
1960-
1.सलीम दुर्रानी(29)
2.रूसी सुरती(26)
1961-
1.फारुख इंजिनियर(46)
2.मंसूर अली खान पटौदी (46)
3.दिलीप सरदेसाई (30)
1962-
इरापल्ली प्रसन्ना(44)
1963-
निरंक
1964-
भागवत चंद्रशेखर(58)
1965-
वेंकटराघवन(57)
1966-
अजीत वाडेकर(37)
1967-
बिशन सिंह बेदी (67)
1968-निरंक
1969-
1.मोहिंदर अमरनाथ (69),
2.चेतन चौहान (40)
1970-
निरंक
1971-
सुनील गावस्कर (125)
1972
निरंक
1973
निरंक
1974मदनलाल(39)
1975-
1.करसन घावरी(39)
2.अंशुमान गायकवाड (40)
1976-
1.सैयद किरमानी (88)
2.दिलीप वेंगसरकर(116)
1977-
निरंक
1978-
कपिल देव(131)
1979-
1.यशपाल शर्मा(37)
2.दिलीप दोषी(33)
3.शिव लाल यादव(35)
4.रोजर बिन्नी(27)
1980-
संदीप पाटिल(29)
1981-
श्रीकांत(43)
1982-
मनिंदर सिंह (35)
1983-
नवजोत सिंह सिद्धू (51)
1984-
1.मनोज प्रभाकर(39)
2.चेतन शर्मा(23)
1985-
अजहरुद्दीन(99)
1986
-किरण मोरे (49)
1987-
संजय मांजरेकर(37)
1988-
नरेंद्र हिरवानी(17)
1989-
सचिन तेंदुलकर(200)
1990-
अनिल कुंबले (132)
1991-
जगवाल श्रीनाथ(67)
1992-
अजय जडेजा(15)
1993-
1.राजेश चौहान(21)
2.विनोद कांबली(17)
1994-
नयन मोंगिया(44)
1995
निरंक
1996
1.राहुल द्रविड़ (163)
2.वी वी एस लक्ष्मण(134)
3.सौरव गांगुली (113)
1997-
निरंक
1998-
हरभजन सिंह (103)
1999-
आशीष नेहरा(17)
2000-
1.जहीर खान (92)
2.वसीम जाफर(31)
2001-
वीरेंद्र सहवाग (103)
2002-
पार्थिव पटेल (25)
2003-
युवराज सिंह (40)
2004-
गौतम गंभीर (58)
2005-
एम एस धोनी (90)
2006-
निरंक
2007-
इशांत शर्मा (105)
2008-
मुरली विजय (61)
2009-
प्रज्ञान ओझा (24)
2010-
1.चेतेश्वर पुजारा (103)
2.रिद्धिमान साहा (40)
2011-
1.विराट कोहली (113)
2.आर अश्विन(95)
3.उमेश यादव (57)
2012-
रविंद्र जडेजा (68)
2013-
1.अजिंक्या रहाणे (85)
2.मोहम्मद शामी (64)
3.रोहित शर्मा (54)
4.शिखर धवन(34)
2014-
के एल राहुल(49)
2015
निरंक
2016-
निरंक
2017-
हार्दिक पांड्या (11)
2018-
1.ऋषभ पंत(33)
2.जसप्रीत बुमराह(32)
3.मयंक अग्रवाल(21)
2019
निरंक
2020-
1.मोहम्मद सिराज(23)
2.शुभमन गिल(20)
2021-
1.अक्षर पटेल(12)
2.श्रेयस अय्यर (12)
2022
निरंक
2023-
यशस्वी जायसवाल
2024-
1.रजत पाटीदार
2.-सरफराज खान,
3.ध्रुव जुरेल
अनेक खिलाड़ी रणजी सहित टेस्ट में प्रवेश करने के लिए आयोजित होने वाले स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन करते है लेकिन स्थापित खिलाड़ियों के क्रम में खेलने के कारण जगह नही मिल पाती है। अमोल मजूमदार ने रणजी में 9202रन बनाए लेकिन टेस्ट में जगह नहीं मिली। राजिंदर गोयल 637विकेट लिए है लेकिन टेस्ट नहीं खेल पाए। वीरेंद्र सहवाग जब टेस्ट का दरवाजा खटखटा रहे है तो सौरव गांगुली ने कहा था कि यदि ओपनिंग नही करोगे तो आगे नहीं खेल पाएंगे।वीरेंद्र सहवाग मध्य क्रम में खेला करते थे।सहवाग ने गांगुली की बात मानी और सफल खिलाड़ी बने।
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